तर्ज, बने से बन्नी जयमाल पे झगड़ी
मंदिर में जोगणिया लांगुर से झगड़ी। तूं क्यों नहीं लाया रे मैया की चुनरी।
तू धीरे धीरे बोल, सब जाति सुन लेंगे। मत खोले मेरी पोल, मेरे साथी सुन लेंगे।🌺🌺🌺🌺🌺 पचरंगी ला दूंगा मैया की चुनरी।🌺🌺🌺🌺तूं क्यों नहीं लाया रे मैया की चुनरी।तूं क्यों नहीं लाया रे मैया की चुनरी।
मंदिर में जोगणिया लांगुर से झगड़ी। तूं क्यों नहीं लाया रे मैया की चुनरी।
जयपुर से दिला दूंगा, नक धीरज रख थोड़ी। नग से जुड़वा दूंगा, तूं मत कर मुंह जोरी।🌺🌺🌺 मैया को पहना दूं सोने की मुंदरी।🌺🌺🌺🌺 तूं क्यों नहीं लाया रे मैया की चुनरी।तूं क्यों नहीं लाया रे मैया की चुनरी।
मंदिर में जोगणिया लांगुर से झगड़ी। तूं क्यों नहीं लाया रे मैया की चुनरी।
हम मंदिर जावेंगे, मेरी मां को मनावेंगे। मैया का जगराता फिर हम करवाएंगे।🌺🌺🌺🌺🌺हम मिलकर उढावेंगे,मैया को चुनरी।🌺🌺🌺तूं क्यों नहीं लाया रे मैया की चुनरी।तूं क्यों नहीं लाया रे मैया की चुनरी।
मंदिर में जोगणिया लांगुर से झगड़ी। तूं क्यों नहीं लाया रे मैया की चुनरी।