तर्ज,सावन का महीना
पर्वत का नजारा कोयल करे शोर।माता तेरे भवन में, बाजे घंटों की घनघोर।
ऊंचे ऊंचे पर्वतों पर गुफा है निराली जहां बैठके करती है मां जग रखवाली।🌺🌺जब जब पानी बरसे,नाचे बन में है मोर।माता तेरे भवन में,बाजे घंटों की घनघोर।
पर्वत का नजारा कोयल करे शोर।माता तेरे भवन में, बाजे घंटों की घनघोर।
तेरे भवन में मैया भीड़ लगी भारी। दर्शन करने आए नर और नारी।🌺🌺🌺🌺🌺 लंबी है कतारे भक्तों का बड़ा जोर।।🌺🌺माता तेरे भवन में,बाजे घंटों की घनघोर।
पर्वत का नजारा कोयल करे शोर।माता तेरे भवन में, बाजे घंटों की घनघोर।
भगत खड़े है मैया,अरज गुजारे।लिख लिख पाती भेजे,तेरे दुवारे।🌺🌺🌺🌺🌺🌺तेरे ही चरणों से बांधी है जीवन डोर।।माता तेरे भवन में,बाजे घंटों की घनघोर।
पर्वत का नजारा कोयल करे शोर।माता तेरे भवन में, बाजे घंटों की घनघोर।