तर्ज,सासु लड़ मत
कान्हा रुनझुन रुनझुन चलने लगे।कान्हा रुनझुन रुनझुन चलने लगे।
कभी डगमग डगमग डोल रहे।२।कभी गिरते कभी पड़ते,कभी बोल रहे।२।🌺🌺गिर गिर के कन्हैया, सम्हलने लगे।कान्हा रुनझुन रुनझुन चलने लगे।
कभी उंगली नंद बाबा की,पकड़ने लगे। कभी मैया का आंचल,जकड़ने लगे।🌺🌺कभी गोदी चढ़न को,मचलने लगे।कान्हा रुनझुन रुनझुन चलने लगे
कभी हठ करके पैयाँ,पटकने लगे।कभी मैया का हाथ,झटकने लगे।🌺🌺🌺🌺कभी माखन खाने को मचलने लगे।कान्हा रुनझुन रुनझुन चलने लगे
कभी दौड़े तेज तेज,जो रुक ना सके।और फिसले तो,फिर वो उठ ना सके।🌺🌺🌺फिर बैठे बैठे माटी,कुचरने लगे।कान्हा रुनझुन रुनझुन चलने लगे
कभी रोए तो ऐसे की रोते रहे।कभी रोते रोते हंसते,और हंसते रहे।🌺🌺🌺🌺🌺कभी मैया की गोदी,इतरने लगे।कान्हा रुनझुन रुनझुन चलने लगे
कभी मैया की चोटी से,जलने लगे।कभी चंदा पकड़ने को,चलने लगे।🌺🌺🌺🌺कभी माटी का ढेला,निगलने लगे।कान्हा रुनझुन रुनझुन चलने लगे