तर्ज,श्री राम चंद्र कृपालु भज मन
दीवाना हूं में श्याम का, मुझको किसी का डर नही।वो मुझे और में उसे,हम भूलते पलभर नहीं।
काम कोई भी हमारा,अब कभी रुकता नहीं।श्याम का दर छोड़कर में,अब कहीं झुकता नहीं।
सोता हूं तकिया लगाकर,सांवरे के नाम से।चैन से सोता हूं कितना,क्या कहूं आराम से।
गम नहीं चिंता नहीं जो,सांवरा मेरे साथ है।क्यों डरूं मुश्किल से में सिर,सांवरे का हाथ है।
लोग कहते हैं मुझे में,रास्ते की धूल हूं।🌺में समझता हूं में खुद को,सांवरे का फूल हूं।
दीवाना हूं में श्याम का, मुझको किसी का डर नही।वो मुझे और में उसे,हम भूलते पलभर नहीं।