तर्ज,लिखनेवाले ने लिख डाली(लंबी जुदाई)
किसको पता है कब यह हंसा, तन पिंजरे को छोड़े। हरि हरि रट मनवा रे, दिन रह गए थोड़े।हरि हरि रट मनवा रे, दिन रह गए थोड़े।
तूं माटी का एक खिलौना,टूट के आखिर माटी होना।२।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺फिर क्यों बोझा,पाप का ढोना।२।भजन से मन मेल को धोना।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 जनम मरण बंधन को तो बस,एक भजन ही तोड़े।हरि हरि रट मनवा रे, दिन रह गए थोड़े।
किसको पता है कब यह हंसा, तन पिंजरे को छोड़े। हरि हरि रट मनवा रे, दिन रह गए थोड़े।हरि हरि रट मनवा रे, दिन रह गए थोड़े।
दो दिन जग में पाओ दाना,फिर इस पंछी को उड़ जाना।२।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺अब भी समय है,हरी गुण गाना।२।🌺🌺चूक गया तो है पछताना। पता नही कब क्रूर काल के,आन पड़ेंगे घोड़े।🌺🌺🌺🌺🌺हरि हरि रट मनवा रे, दिन रह गए थोड़े।
किसको पता है कब यह हंसा, तन पिंजरे को छोड़े। हरि हरि रट मनवा रे, दिन रह गए थोड़े।हरि हरि रट मनवा रे, दिन रह गए थोड़े।
सूत द्वारा और कुटुंब खजाना,सब माया का ताना बाना।२।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺फिर क्या इनका,गर्व दिखाना।२ 🌺🌺🌺ये नाता तो टूट ही जाना।अमर प्यारका नाता पगले,क्यों ना प्रभु से जोड़े।🌺🌺🌺हरि हरि रट मनवा रे, दिन रह गए थोड़े।
किसको पता है कब यह हंसा, तन पिंजरे को छोड़े। हरि हरि रट मनवा रे, दिन रह गए थोड़े।हरि हरि रट मनवा रे, दिन रह गए थोड़े।