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Ganesh bhajan lyrics गणेश भजन लिरिक्स

Ab kya hoga ganpat ji bich budhape me, अब क्या होगा गणपत जी बीच बुढ़ापे में,ganesh ji bhajan

अब क्या होगा गणपत जी बीच बुढ़ापे में,

तर्ज, होलिया में उड़े री गुलाल

अब क्या होगा गणपत जी बीच बुढ़ापे में।२

संगमरमर का महल बनाया। कूलर पंखा उसमे लगाया।बहु बेटे को उसमे बिठाया।🌺आ गई मेरी खटिया बाहर,बीच बुढ़ापे में।अब क्या होगा गणपत जी बीच बुढ़ापे में।

मन मर्जी का खाना नही मिलता।जैसा मिलता खाना पड़ता।रोटी ऊपर अचार,बीच बुढ़ापे में।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺अब क्या होगा गणपत जी बीच बुढ़ापे में।

बेटा नहीं सुनता बहु नहीं सुनती।करते दोनों अपने मन की।बेटा हुआ गुलाम,बीच बुढ़ापे में।🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺अब क्या होगा गणपत जी बीच बुढ़ापे में।

हाड भी सुखा मांस भी सुखा।हम तो हुवे बेकार,बीच बुढ़ापे में।🌺🌺🌺🌺🌺🌺अब क्या होगा गणपत जी बीच बुढ़ापे में।

जैसी करनी वैसी भरनी।मेरा गणपति करेंगे बेड़ा पार,बीच बुढ़ापे में।🌺🌺🌺🌺🌺अब क्या होगा गणपत जी बीच बुढ़ापे में।

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