तर्ज,आओ आओ गणराज
जाओ जाओ ललन,जल कहीं से भरण, शरबन प्यारे।अब तो प्यास लगी है हमारे।
शराबन ने कमंडल उठाया, माता पिता को धीरज बंधाया।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹माता रोवो मति,जल भर लोटूं अभी,शरबन प्यारे।अब तो प्यास लगी है हमारे।
जल लेने गया शरबन झारी,आया कैसे है दशरथ शिकारी। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹बिधना आय पड़ी,मौत सिर पे खड़ी,शरबन प्यारे।अब तो प्यास लगी है हमारे।
जैसे ही जल भरा है झारी,दशरथ ने बाण है मारी।२।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹लगते ही वो बाण,निकल गए हैं प्राण,शरबन प्यारे।अब तो प्यास लगी है हमारे।
दशरथ लेकर के जल है आया,माता पिता ने स्वर सुन पराया।२।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹दिया ऐसा अभिशाप,तूने किया बड़ा पाप।शरबन प्यारे।अब तो प्यास लगी है हमारे।