तर्ज,अरे द्वारपालो
लाज रखो हे कृष्ण मुरारी, हे गिरधारी हे बनवारी।हे गिरधारी हे बनवारी,लाज रखो हे कृष्ण मुरारी।
कहता है खुद को जो बलशाली,खींच रहा आज वही अबला की साड़ी।२।🌹🌹🌹लाज रखो हे कृष्ण मुरारी, हे गिरधारी हे बनवारी।हे गिरधारी हे बनवारी,लाज रखो हे कृष्ण मुरारी।
में तो समझती थी एक है अंधा।यहां तो है अंधी,सभा ये है सारी।२।🌹🌹🌹🌹🌹लाज रखो हे कृष्ण मुरारी, हे गिरधारी हे बनवारी।हे गिरधारी हे बनवारी,लाज रखो हे कृष्ण मुरारी।
अब में आश करूं कहो, किसपर,सब के सब यहां बैठे जुआरी।२।🌹🌹🌹🌹🌹लाज रखो हे कृष्ण मुरारी, हे गिरधारी हे बनवारी।हे गिरधारी हे बनवारी,लाज रखो हे कृष्ण मुरारी।
सर को झुका कर बैठे हैं सारे,वो भी गदा और गांडीव धारी।२।🌹🌹🌹🌹🌹🌹लाज रखो हे कृष्ण मुरारी, हे गिरधारी हे बनवारी।हे गिरधारी हे बनवारी,लाज रखो हे कृष्ण मुरारी।
अब तो भरोसा तेरा बचा है,इतिहास हमेशा तुमने रचा है।२।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹इसीलिए द्रोपदी तुमको पुकारी।लाज रखो हे कृष्ण मुरारी, हे गिरधारी हे बनवारी।हे गिरधारी हे बनवारी,लाज रखो हे कृष्ण मुरारी।
लाज रखो हे कृष्ण मुरारी, हे गिरधारी हे बनवारी।हे गिरधारी हे बनवारी,लाज रखो हे कृष्ण मुरारी।