ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे भक्त जनन के संकट, क्षण में दूर करे।ॐ जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे दुख बिन, से मन का। सुख संपति घर आवे, कष्ट मिटे तन का।ॐ जय जगदीश हरे।
मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी। तुम बिन और न दूजा, आस करूं किसकी।ॐ जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतर्यामी। पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी।ॐ जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता। मैं मुरख खल कामी, कृपा करो भरता।ॐ जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राण पति। किसी विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति।ॐ जय जगदीश हरे।
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम रक्षक मेरे। करुणा हस्त उठाओ, द्वार पड़ा तेरे।ॐ जय जगदीश हरे।
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा। श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा।ॐ जय जगदीश हरे।
तन मन धन है, सब कुछ है तेरा। तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेरा।ॐ जय जगदीश हरे।
श्याम सुंदर जी की आरती, जो कोई नर गावे। कहत शिवानंद स्वामी, सुख संपति पावे।ॐ जय जगदीश हरे।