तर्ज, थाली भरकर
नानी बाई के मायरा की, कान्हा लाज बचायो रे।आज उढावन चुंदड़ी मेरा, सांवल बीरा आयो रे।
नरसी भगत तो तेरे भरोसे, झांझ मंजीरा लायो रे। समय भात की नीडे आगी, सांवल सा नहीं आयो रे।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 के राधा बिल्मायो थाणे,के रुक्मण बिल्मायो रे।आज उढावन चुंदड़ी मेरा, सांवल बीरा आयो रे।
नानी बाई के मायरा की, कान्हा लाज बचायो रे।आज उढावन चुंदड़ी मेरा, सांवल बीरा आयो रे।
सरवर तीरे ऊबी नानी, नैना नीर बहावे रे। ऐसो नहीं होवे तू नहीं आवे, नानी जान गवावे रे।🌹 के तूं गहरी नींद मैं सो गयो, भगतां याद नहीं आयो रे।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹आज उढावन चुंदड़ी मेरा, सांवल बीरा आयो रे।
नानी बाई के मायरा की, कान्हा लाज बचायो रे।आज उढावन चुंदड़ी मेरा, सांवल बीरा आयो रे।
उड़तोड़ा पंछीड़ा मेरो, आज संदेशों लेजा रे। सांवल बीरो मिलजावे तो,मेरी बात सुना जा रे। आज जन्म को भाई कोनी, भाई बनकर आयो रे।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹आज उढावन चुंदड़ी मेरा, सांवल बीरा आयो रे।
नानी बाई के मायरा की, कान्हा लाज बचायो रे।आज उढावन चुंदड़ी मेरा, सांवल बीरा आयो रे।