तर्ज,हंसा चाले तो ले चलूं रे
कैसे आऊं रे सांवरिया तेरी ब्रज नगरी।२।
तेरी नगरी में कान्हा कीच बहुत है।२। पांव चलूं तो मेरी भीजे घगरी। कैसे आऊं रे….
तेरी नगरी में कान्हा यमुना बहुत है।२। पनियां भरन गुजरिया, आई सगरी। कैसे आऊं रे….
तेरी नगरी में कान्हा दान लगत है। श्याम करे रे झगड़ा झगड़ी। कैसे आऊं रे….
तेरी नगरी में कान्हा फाग मची है। मोहन ने मेरी रोक लेई डगरी। कैसे आऊं रे…
लाल गुलाल के बादल है छाए। केसरी रंग भरे रे गगरी। कैसे आऊं रे….
भर पिचकारी मारत है मोहन। चुनरी भीग गई रे सगरी। कैसे आऊं रे….
मो पर तू रंग हंस हंस डारत। मोहन आप गयो रे भगरी। कैसे आऊं रे….
सखियां आज तुमरो यस गावे। हिर्दय धरूं तुम्हारी पगरी। कैसे आऊं रे….