आज हरी आए विदुर घर पावना।२
विदुर नहीं घर थी विदूरानी।आवत देख हैं शारंग पानी। दे आसन बैठावना।आज हरी आए विदुर घर पावना।
विदूरानी मन सोच भयो है। घर में अब कछु नहीं रहयो है। कदली फल ले आवना।आज हरी आए विदुर घर पावना।
छिलके का प्रभु भोग लगाएं। रुचि रुचि कदली फल को खाए। बड़े प्रेम प्रभु पावना।आज हरी आए विदुर घर पावना।
इतने माही विदुर जी आए। विदूरानी पर बहुत रिसाए। घर की लाज गवाओना।आज हरी आए विदुर घर पावना।
सुनहूं विदुर हम प्रेम के भूखे। भाव बिना सब व्यंजन सूखे। ऐसा स्वाद नहीं आवना।आज हरी आए विदुर घर पावना।