तर्ज, ना कजरे की धार
ये फूलों के हार, ये गजरे बेशुमार,यह किसने किया सिंगार, लागे इतना प्यारा तूं। हां इतना प्यारा तूं।
तेरी केस है घुंघराले, तेरे नैन यह कजरारे। तेरा रूप ऐसे दमके, जो चांद और सितारे।☀️☀️ पल भर ना हटे नजरें,२। मैं देखूं बारंबार।यह किसने किया सिंगार, लागे इतना प्यारा तूं। हां इतना प्यारा तूं।
कानों में कुंडल प्यारे, गले में वैजयंती माला। तेरे होठ लागे जैसे, मधु से भरा हो प्याला।☀️ देखे जो इस नजर वो, खो देता है करार,२।☀️यह किसने किया सिंगार, लागे इतना प्यारा तूं। हां इतना प्यारा तूं।
सिंगार तेरा हटके, बाकी अदा के लटके।☀️ यह सांवली सी सूरत, जो देख ले वह भटके। नैनों में बस गया तूं, ओ मेरे लखदातार।२।☀️यह किसने किया सिंगार, लागे इतना प्यारा तूं। हां इतना प्यारा तूं।
दरबार महके तेरा,सिंगार महके तेरा।☀️☀️मदमस्त हो दीवाना,यह भक्त बहके तेरा।☀️आंखों में छा गया है,तेरे रूप का खुमार।२।यह किसने किया सिंगार, लागे इतना प्यारा तूं। हां इतना प्यारा तूं।