तर्ज, थाली भरकर
आज सुनाई करनी पडसी छोटी सी अरदास है। बहुत घनेरी आश लगाकर आयो तेरो दास है।
लखदातार कुहावे बाबो, खाली झोली भर देवें। दीन दुखी दरवाजे आवे, सारा संकट हर लेवे। जो भी आवे तेरे द्वार पर, जावे नहीं निराश है।बहुत घनेरी आश लगाकर आयो तेरो दास है।
बार-बार तेरी चौखट पर,आस लगाकर आऊं मैं। छोड़ तेरा दरबार सांवरा, किसके दर पर जाऊं मैं।🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚 एक बार हंसकर देख ले दाता, मनड़ो बहुत उदास है।बहुत घनेरी आश लगाकर आयो तेरो दास है।
द्वार दया का खोल सांवरा, क्यों तूं आंख चुरावे है ।सोया भाग्य जगा दे दाता, क्यों इतनो तरसावे है।🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚 मेरी किस्मत की चाबी तो, बाबा तेरे पास है।बहुत घनेरी आश लगाकर आयो तेरो दास है।
रोता ने तूं सदा हंसावे, तेरी बांन पुरानी है। बिन्नू की उलझी गांठन, श्याम तने सुलझानी है।🦚 अब तो संकट कट जावेगा, मन में यो विश्वास है।बहुत घनेरी आश लगाकर आयो तेरो दास है।