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सुदामा भजन लिरिक्स

Bar bar jab kahe brahmani, बार बार जब कहे ब्राह्मणी हुवे सुदामा त्यार,सुदामा भजन

बार बार जब कहे ब्राह्मणी हुवे सुदामा त्यार

बार-बार जब कहे ब्राह्मणी, हुए सुदामा त्यार।चावल की पोटली ले, आए हैं मोहन के द्वार।

पूछे द्वारिका आय कन्हैया, कहां बसे। देख हाल बेहाल नगर का, सभी हंसे ।🌹🌹🌹इतने में एक मिलयो दयालु, दिनहों महल बताय। चावल की पोटली…

द्वारपाल जा कयो आदमी, एक आयो। फाटया कपड़ा नाम सुदामा, बतलायो।🌹🌹🌹🌹 सुनते ही प्रभु नंगे पैरों, दौड़े कृष्ण मुरार। चावल की पोटली….

लिन्यो गले लगाय, सिंहासन बैठायो। देख हाल बेहाल जीवडो दुःख पायो।🌹🌹🌹🌹🌹 अंसुवन जल से पैर धो रहे, जग के पालनहार। चावल की पोटली…

करी खातिरी खूब सुदामा शरमावे,चावल की पोट कांख में छिपकावे।🌹🌹🌹🌹🌹🌹नजर पड़ी जद कृष्ण चंद्र की, लिन्ही भुजा पसार। चावल की पोटली….

दो मुट्ठी गए खाय,तीसरी खाने लगे ।रुक्मण पकड़यो हाथ, प्रभु क्या करने लगे।🌹🌹🌹 तीन लोक जो दिए इन्हीं को, हो गए बेघर बार। चावल की पोटली…

रहे दोय दिन चार,कहीं जब विदा कियो। मुख से मांग्यो नाही प्रभु कुछ, नाही दियो।🌹🌹 लगे सोचने क्या कहेगी, घरवाली वो नार ।चावल की पोटली…

पहुंचे नगरी माय झोपड़ी, मिली नहीं। मन में सोच करें ब्राह्मणी, कहां गई।🌹🌹🌹🌹 दासी आकर कहबन लागी, बुला रही घर नार। चावल की पोटली…

चकित भये यूं देख कन्हैया, खूब करी। महिमा अपरंपार दास यूं गावे हरि ।🌹🌹🌹🌹🌹भक्त मंडल सब हिलमिल करके, आवे तेरे द्वार। चावल की पोटली….

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