तर्ज,मनिहारी का भेष बनाया
मान जा कहना खाटू के लाला ।जाट हूं मैं भी हरियाणे वाला।
के तूं छोटी सी मुरली ले पी पी करें।🎵🎵🎵 मेरे लठ्ठसे तो सारा मोहल्ला डरे ।🎵🎵 आज लठ्ठ का ही है बोल बाला ।जाट हुं…
के तूं इत्तरावे सर पर या पगड़ी धरे।🎵🎵 म्हारे गांव में टाबरिया बांधे फिरे।🎵🎵🎵 काम तूने किया क्या निराला। जाट हुं…
म्हारा दिल है खरा म्हारी बोली खरी।🎵🎵 तेरे जैसे ना माखन की चोरी करी ।🎵🎵 नाही डाका किसी पर डाला। जाट हुं…
एक तेरे पर ही मेरा चलता है जोर।🎵🎵🎵 मैं जाता नहीं मांगने कहीं और।🎵🎵🎵🎵 तू ही तो है मेरा रखवाला। जाट हूं..
श्याम हंसने लगे बोले जाट रे भगत।🎵🎵 तेरी बोली से टपके है प्रेम का रस ।🎵🎵 लेजा चाहे जो खोलकर ताला। जाट हूं…