तर्ज,म्हारी चंद्र गवरजा
सावन को महीनो वृंदावन चालॉ मिल्सयां श्याम से।
वृंदावन की कुंज गलिन में,छाई अजब बहार।गली गली में झूला डलगया,झूले कृष्ण मुरार जी।सावन को…
ठूमक ठुमक कर गीत गावती कर सोलह श्रृंगार।श्याम पिया से मिलने चाली, अलबेली वृजनार जी।सावन को….
चार सखिरी घूंघट काढया,मन ही मन मुस्काय।पनघट ऊपर उभी ऊभी, गीत श्याम का गाय जी।सावन को…
बनवारी सब फीका लागे, मिठ्ठो श्याम को नाम।जो सुख वृज की माटी माही, फिको वैकुंठ धाम जी।सावन को..