तर्ज,चाल चंदा डागलिये पे
चाल गोरी फागनिये में,दोन्युं खाटू चाला ये,कोई झुक झुक धोक लगावां जी बाबे के।
थारे साग खाटू चालूं, फागनिये में ढोला जी।कोई गठजोड़े से जास्यां जी फागण में।
दर्जीडे के जाकर थे निशान सिमालयो जी।🌹कोई मंदिर शिखर चढ़ास्या जी बाबे के।
पंसारी के जाके ढोला मेवा मिसरी ल्याज्योजी।कोई जाकर भोग लगास्यां जी बाबे के।🌹🌹
हलवाई से देशी घी का लाड़ू थे बनवाज्यो जी।कोई सवामनी तो लगास्या जी बाबे के।🌹
सुनारा के जाकर ढोला छत्तर ले आज्यो जी।कोई दर पे जाके चढ़ास्यां जी बाबे के।🌹🌹