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विविध भजन

Suno achraj ki baat vaisakh bandari nahave,एक सुनो अचरज की बात वैशाख बांदरी नहावे हे,vaisakhi bhajan

आए एक सुनो अचरज की बात, वैशाख बांदरी नहावे हे।आए एक सुनो अचरज की बात, वैशाख बांदरी नहावे हे। पहला गोता मारा गंगा म, आए शिवलिंग की जड़ में बैठ, वा गुण भोले के गावै हे।पहला गोता मारा गंगा म, आए शिवलिंग की जड़ में बैठ, वा गुण भोले के गावै हे।आए एक सुनो अचरज […]