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विविध भजन

Karigar mat na bhatke re,कारीगर मत ना भटके रे,

तर्ज,म्हारी सोन रे चिड़ी कारीगर मत ना भटके रे,मुसाफिर तू क्यूं भटके रे ।कर मालिक ने याद काम थारो,कदे नी अटके रे । कारीगर पथर घड़े,पथर में पायो छेद ।छेद माँहि कीड़ो जीवतो रे,नहीं जीवण री उम्मीद ।के मुख माँहि दाणो लटके रे,कर मालिक ने याद काम थारो,कदे नी अटके रे । कारीगर किरतार ने […]