म्हारी ऐ मंगेतर काजळ वाळी
Category: Holi geet
मेले में जाऊं तो म्हाने मिले पुराना रसिया सा।
कागलिया म्हाने क्यूं सतावे रे।म्हारो परणोडो बसे है परदेश, परदेशीडा ओल्यूं थारी आवे रे।
टूटे बाजूबंद री लूम लड़ उलझी उलझी जाए
देस ने चालो ने ढोला मंन भटके
काकडीया मतिरा ख़ास्या खूब डटके।
म्हारे चूडले रा सिंगार बलम थारी ओलु आवे रे।
बन्ना रे बागा में झूला डाल्या, म्हारी बन्नी ने झूलण दीजो बन्ना गेन्द गजरा
बना रे बागां में झुला घाल्या
छेलो झाला देर बुलावे गौरी घुंघट में शरमावे,
बाई सा रा बीरा म्हानै पिहरीय ले चालो सा,
You must be logged in to post a comment.