पता नहीं किस रूप में आकार नारायण मिल जाएगा,
Category: विविध भजन
कलयुग सज धज के आ गए धर्म धरती में समा गए।
भजन करले बीती जाये घड़ी
भजन बिना मेरी सुनी है उमरिया हरे रामा सिया रामा।
तकदीर बनाने वाले ने कैसी तकदीर बनाई है।
मैंने लिया ना हरी का नाम बुढ़ापा बैरी आ गया
कान्हा खोलो मंदिर के किवाड़ मैं गीता पढ़ने आई।
ईसा मिला मन बहन सासरा कती पाट गया चाला हे।
मेरा रंग दो राम रंग चोला,
हो,मेरा रंग दो श्याम रंग चोला,
भजो रे मन राम गोविंद हरि
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