कोई किसी का नहीं रे भजन करो,
Category: विविध भजन
तू मन अपना हरदम हरी से लगाना
करो चाहे लाख चतुराई,
उसी घर सबको जाना है,
मेरी छोटी सी झोपड़ियाँ मै राम दिखे ।
अरे तू तो पांच ठगों ने ठग ली कब भजन करेगी पगली।
नाम जप ले रे सियाराम जप ले।
हरि नाम का प्याला ज़रा पीजिये,
जो राम नाम गुण गाता है। जीवन में बड़ा सुख पाता है।
कन्हैया अजब लिखी तकदीर,
मेरी बंधी राम से डोर भजन में बैठ गई,
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