अब तो आजा रे नारायण तू तो लेर गुडलो,
Category: विविध भजन
मने दूर की टिकट कटाई रेल में तेल नहीं।
मां बनीने आवो प्रभुजी मारे बालक थईने तने मलवु छे।
कितना प्यारा श्रृंगार सजाया, दर्शन करते रहे
मैंने पूछा हज़ारों बार मगर एक बार नहीं बोले
मेरे गुण अवगुण को पलडे में, ना तोलो तो अच्छा होगा।
पवनसुत राम से कहना, तुम्हे सीता बुलाती है
हरि नाम अनमोल रे हरि नारायण बोल रे।
फट गया दूध, जमे कैसे, राधा बिन श्याम मिले कैसे
अरे लोगों तुम्हारा क्या यह मैं जानू मेरा पिया जाने।
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