भजन बिना रे ना काया किस काम की
Category: विविध भजन
सासरीये मै न जाऊ मेरी माँ मेरो मन लाग्यो राम के भजन में।
संतो रे मुख पर बरसे नूर, राज मोरी सईयाँ ए
गरुड़ के रथ पे बैठकर मेरे घर आए श्री भगवान
मन सीताराम सीताराम रट रे,
थारा संकट जावे सब कट रे।
एक चिड़िया के दो बच्चे थे, वे दूजी चीड़ी ने मार दिये
माटी के पुतले इतना ना इतरा के चल
मैं तो उगतडे प्रभात सूरजमल जोडू दोनों हाथ।
बन गए साधू रख लई जटा। राम नाम का कोई ना पता।
कभी ना लिया शिव का नाम
सवेरे उठी काम काम काम
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