मनवा भूल गयो ईश्वर ने ,
अब तेरो कोन संगाती रे।
Category: विविध भजन
अंदर अनमोला रे लाल,हर दम माला फेरियो जी।
मत बुरे कर्म कर बन्दे,वरना पछताएगा।
जावो नुगरी काया थारो कांइ गुणगावां
पहला क्यों नी करी रखवाली,
थारो चिड़िया चुग गई खेत,
मेरी ज़िन्दगी के मालिक कहीं तुम बदल ना जाना।
कौन पावे याको पार, प्रेम नदिया की सदा उल्टी बहे धार।
कोठे दी कंजरी नहीं मैं तो यार दी कंजरी या
आई कीर्तन की या रात, थाने आणो पड़सी,
माँ रात को सपने में, श्री बाबोसा आये,
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