काँटो लाग्यो रे सतसंगत में म्हारे खड़क रह्यो ओ दिन रात।
Category: विविध भजन
उंगली आपस में बतलाए बहने तो है,
काहे को अभिमान
तुम रटो हरि का नाम, ओ नाम दो घड़ी सत्संग में जाया करो।
Ma sharde o maiya hum to hai balak tere,
तिरिया सात जन्म दुख पावेगी जो पति से दगा करेगी।
बीरा सपना में मत कीजे माया रो अभिमान
नारद ने झगड़ा करवाया गाय गंगा में बिन कारण
थोड़ी ले लो रे भलाई थारा दिन जावे।
जन्म के साथी मात-पिता है कर्म के साथी कोई नहीं
राम जी रो राख भरोसो,मेरा भाई।
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