संतो अमरलोक कुण जासी
Category: विविध भजन
नदिया किनारे हवा डोले
बागों में कोयल बोले
सासू जी कृपा रखना मैं बेटी पराई हूं।
करो हरि दर्शन, करो हरि दर्शन, करो हरि दर्शन॥
हठ लागयो उंदरी, हठ लागयो उंदरी। हरि के मंदिर चाल, माला फेरा साधा री।
जीवन की गाड़ी धर्म के मारग,
इच्छा की बेडी जिसने तोड़ी आनंद उसने पाया है।
अरे मारा मनड़ा बदल गया दिनडा,
वा पेला जेडी बात नही
चोपनिया रे पाना में,
भगवान लेखो लेसी राम।
तूने पढ़ा नहीं पन्ना रामायण का, तू कैसा भगत भगवान का।
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