भजन करूंगी दिन रात, बुढ़ापा आया।
Category: विविध भजन
बीरा थारी चुनडली रा,चटका है दिन चार,पुराणी पड़गी चुनड़ी
राम गुण गावो ए भई रे,
हरी गुण गावो रे भाई,
हंसलो री जोड़ी जग में बिछडी,
उण घर जाइजे बेरण निद्रा
जीण घर राम नाम नहीं भावे,
अर्जुन के बाण जैसा कोई बाण नहीं देखा
बिन योग साधना के बंदे मुक्ति का रास्ता मिलता ना
आया हरियाली तीज का त्यौहार महीना सावन का।
ले के आयो रे तीज त्यौहार, महीना सावन का
उसे वक्त भला क्या मारे,
जिसको औलाद ने मारा।
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