लगी कलजुग री फटकार प्रेम में कांकरा पड़गया।
Category: विविध भजन
यदि नाथ का नाम दयानिधि है,
तो दया भी करेंगे कभी ना कभी,
ले ले लावो मानखो,
फेर ना मीले रे,
अरे संतो भाई हमरे घर में झगड़ा भारी।
मां बाप के पग चरणों में बंदे सदा शीश झुकाना
म्हाने मिल गया सिरजनहार नहीं जाऊं सासरिए।
राम रस मीठा रे, कोई पीवै साधु सुजाण
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले
हम परदेसी पंछी रे साधु भाई ईनी देश रा नाही।
छूटा घर द्वार बाबुल का उसी की याद आती है
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