प्रभु तेरा द्वार ना छूटे रे
छूट जाए संसार
Category: विविध भजन
मनवा नहीं विचारी रे ।
थारी मारी करता उम्र,
बीती सारी रे ॥
बन्दा थारी नींदड़ली ने निवार,
ओ तो जग झूठो है संसार ।
भलो वेला भगवत ने भजियो सोई भजो नर नारी।
ओ हरि तेरो अजब निरालो काम,
अजब निरालो काम ।
म्हारा सुसरा ने किजो रे संदेश नहरवा मे आग लगी।
शुन्न घर शहर, शहर घर बस्ती, कुण सुता कुण जागै है।
म्हारी काया रा कारीगर साहेबा ऊबा रीजो जी।
मानव किसका अभिमान करें ,
दिन चढ़ते उतरकर आते है।
अवधू मन बिन करम न होता
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