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Kathe gaya baag ka mali by prakash Gandhi lyrics,उजड़न लाग्यो तेरो बाग रे कठे रम गया हो माली

उजड़न लाग्यो तेरो बाग रे, कठे रम गया हो माली।उजड़न लाग्यो तेरो बाग रे, कठे रम गया हो माली।उजड़न लाग्यो तेरो बाग रे, कठे रम गया हो माली।रम गया हो माली कठे रम गया हो माली।रम गया हो माली।उजड़न लाग्यो तेरो बाग रे, कठे रम गया हो माली।

बाग तेरे में शाही मेवा।बाग तेरे में शाही मेवा।बाग तेरे में शाही मेवा।बाग तेरे में शाही मेवा। फिर पीछे रे पछताए रे, घड़ी जावे रे चाली।उजड़न लाग्यो तेरो बाग रे, कठे रम गया हो माली।

बाग बेचारा  क्या करें रे।बाग बेचारा  क्या करें रे।बाग बेचारा  क्या करें रे।बाग बेचारा  क्या करें रे। हां उठ गयो सीचन हार, हां रे,नाही रही हरियाली।उजड़न लाग्यो तेरो बाग रे, कठे रम गया हो माली।

फूलपात सारे कुंभलाये।फूलपात सारे कुंभलाये।फूलपात सारे कुंभलाये।फूलपात सारे कुंभलाये। पडने रे लाग्यो घनों घाम रे, सुखी सारी ही डाली।उजड़न लाग्यो तेरो बाग रे, कठे रम गया हो माली।

पेड़ काट कोयला भया रे।पेड़ काट कोयला भया रे।पेड़ काट कोयला भया रे।पेड़ काट कोयला भया रे। उड़न लगी तेरी राख रे, ऐसी हवा चा।उजड़न लाग्यो तेरो बाग रे, कठे रम गया हो माली।

कहे कमांली कबीर जी री चेली।कहे कमांली कबीर जी री चेली।कहे कमांली कबीर जी री चेली।कहे कमांली कबीर जी री चेली। आ कथनी रे भरपूर रे ,काया जावे रे चाली।उजड़न लाग्यो तेरो बाग रे, कठे रम गया हो माली।

उजड़न लाग्यो तेरो बाग रे, कठे रम गया हो माली।उजड़न लाग्यो तेरो बाग रे, कठे रम गया हो माली।उजड़न लाग्यो तेरो बाग रे, कठे रम गया हो माली।रम गया हो माली कठे रम गया हो माली।रम गया हो माली।उजड़न लाग्यो तेरो बाग रे, कठे रम गया हो माली।

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