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विविध भजन

Suno achraj ki baat vaisakh bandari nahave,एक सुनो अचरज की बात वैशाख बांदरी नहावे हे,vaisakhi bhajan

आए एक सुनो अचरज की बात, वैशाख बांदरी नहावे हे।आए एक सुनो अचरज की बात, वैशाख बांदरी नहावे हे।



पहला गोता मारा गंगा म, आए शिवलिंग की जड़ में बैठ, वा गुण भोले के गावै हे।पहला गोता मारा गंगा म, आए शिवलिंग की जड़ में बैठ, वा गुण भोले के गावै हे।आए एक सुनो अचरज की बात, वैशाख बांदरी नहावे हे।



दूजा गोता मारा गंगा म, आए पीपल की जड़ म बैठ, वा गुण गोविंद के गावै हे।दूजा गोता मारा गंगा म, आए पीपल की जड़ म बैठ, वा गुण गोविंद के गावै हे।आए एक सुनो अचरज की बात, वैशाख बांदरी नहावे हे।आए एक सुनो अचरज की बात, वैशाख बांदरी नहावे हे।



तीजा गोता मारा गंगा म,आए वा बड़ की जड़ म बैठ, वा गुण ईश्वर के गावै हे।तीजा गोता मारा गंगा म,आए वा बड़ की जड़ म बैठ, वा गुण ईश्वर के गावै हे।आए एक सुनो अचरज की बात, वैशाख बांदरी नहावे हे।



चौथा गोता मारा गंगा म, आए तुलसा की जड़ म बैठ, वा राधे श्याम मनावें हे।चौथा गोता मारा गंगा म, आए तुलसा की जड़ म बैठ, वा राधे श्याम मनावें हे।आए एक सुनो अचरज की बात, वैशाख बांदरी नहावे हे।आए एक सुनो अचरज की बात, वैशाख बांदरी नहावे हे।



पांचवा गोता मारा गंगा म, आए जांडी की जड़ म बैठ, वा राम म ध्यान लगावै हे।पांचवा गोता मारा गंगा म, आए जांडी की जड़ म बैठ, वा राम म ध्यान लगावै हे।आए एक सुनो अचरज की बात, वैशाख बांदरी नहावे हे।आए एक सुनो अचरज की बात, वैशाख बांदरी नहावे हे।



छटठा गोता मारा गंगा म, आए आकटे की जड़ में बैठ, वा शिव शिव रटती जावे हे।छटठा गोता मारा गंगा म, आए आकटे की जड़ में बैठ, वा शिव शिव रटती जावे हे।आए एक सुनो अचरज की बात, वैशाख बांदरी नहावे हे।आए एक सुनो अचरज की बात, वैशाख बांदरी नहावे हे।



सातवां गोता मारा गंगा म, आए सूरज न करै प्रणाम, देख मने अचरज आवे हे।सातवां गोता मारा गंगा म, आए सूरज न करै प्रणाम, देख मने अचरज आवे हे।आए एक सुनो अचरज की बात, वैशाख बांदरी नहावे हे।आए एक सुनो अचरज की बात, वैशाख बांदरी नहावे हे।



प्यार भरी है आंखें त लखावै ,मेरी सखियां न हे वा न्यू समझावे। आए थम रट लो क्यों ना राम, क्यों जीवन व्यर्थ गवाओ हे।प्यार भरी है आंखें त लखावै ,मेरी सखियां न हे वा न्यू समझावे। आए थम रट लो क्यों ना राम, क्यों जीवन व्यर्थ गवाओ हे।आए एक सुनो अचरज की बात, वैशाख बांदरी नहावे हे।आए एक सुनो अचरज की बात, वैशाख बांदरी नहावे हे।



देख बांदरी की साच्ची भक्ति, मेरे हृदय में की ज्योति जगी गी। देवै सरस्वती मां साथ भगत इब भजन बनाव है।देख बांदरी की साच्ची भक्ति, मेरे हृदय में की ज्योति जगी गी। देवै सरस्वती मां साथ भगत इब भजन बनाव है।आए एक सुनो अचरज की बात, वैशाख बांदरी नहावे हे।आए एक सुनो अचरज की बात, वैशाख बांदरी नहावे हे।

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