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Swarg hai ghar me mahi bahar tu bhatke kayi by sunita swami,स्वर्ग है घर के माही, बाहर तू भटके काई।

स्वर्ग है घर के माही, बाहर तू भटके काई

स्वर्ग है घर के माही, बाहर तू भटके काई।स्वर्ग है घर के माही, बाहर तू भटके काई। तीरथ थारे घर में मोटा, माता-पिता जी बैठा। अब तु क्यों जोवे की रि बाट रे। सुन सुन रे मनवा, थारे आंगन में सगली ठाठ रे।सुन सुन रे मनवा, थारे आंगन में सगली ठाठ रे।

माता-पिता जी थारा, दुनिया दिखाई तने।माता-पिता जी थारा, दुनिया दिखाई तने।आरा सु मोटो कोई, जग में दिखे ना मने।आरे चरणा री रज तु चाट रे।सुन सुन रे मनवा, थारे आंगन में सगली ठाठ रे।सुन सुन रे मनवा, थारे आंगन में सगली ठाठ रे।

बालपन लाड लडायो ,बड़ो कर ब्याह रचायो।बालपन लाड लडायो ,बड़ो कर ब्याह रचायो। थारो संसार बसायों , मोटो इंसान बनायो। माता-पिता ही गंगा घाट रे।सुन सुन रे मनवा, थारे आंगन में सगली ठाठ रे।सुन सुन रे मनवा, थारे आंगन में सगली ठाठ रे।

दुख री छाया नहीं आवे, ऐसो मां बाप की चावे।दुख री छाया नहीं आवे, ऐसो मां बाप की चावे। थारी संतान प्यारी, दुनिया में नाम कमावे। सुख री ढूंढे है थारे हाथ रे।सुन सुन रे मनवा, थारे आंगन में सगली ठाठ रे।सुन सुन रे मनवा, थारे आंगन में सगली ठाठ रे।

माता पिता री सेवा, करसी वो पासी मेवा।माता पिता री सेवा, करसी वो पासी मेवा। माता-पिता है राजी। तो ही है राम राजी। सांची कहवे यो लखन जाट रे।सुन सुन रे मनवा, थारे आंगन में सगली ठाठ रे।सुन सुन रे मनवा, थारे आंगन में सगली ठाठ रे।

स्वर्ग है घर के माही, बाहर तू भटके काई।स्वर्ग है घर के माही, बाहर तू भटके काई। तीरथ थारे घर में मोटा, माता-पिता जी बैठा। अब तु क्यों जोवे की रि बाट रे। सुन सुन रे मनवा, थारे आंगन में सगली ठाठ रे।सुन सुन रे मनवा, थारे आंगन में सगली ठाठ रे।

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