काल के भी हो काल महाकालेश्वर भगवान, झूठ भय का जंजाल हमको अच्छा लगता है। हाथों में रहता कपाल, तीनों लोकों के भूपाल, आंखें रहती लाल लाल हमको अच्छा लगता है। पर्वतों पर तेरा वास, नंदी को रखते हो पास, जटा गंगा का निवास हमको अच्छा लगता है।हाथों में रहता कपाल, तीनों लोकों के भूपाल, आंखें रहती लाल लाल हमको अच्छा लगता है।
ब्रह्मा को हुआ था जब अभिमान बाबा जी, वाणी हो गई थी उनकी बेलगाम बाबा जी। भूल बैठे तब वह अपना ज्ञान बाबा जी। करने लगे तुम्हारा अपमान बाबा जी। भैरव का धारा था तब रूप, खो गई ब्रह्मा जी की सूध, अहंकार हुआ शून्य हमको अच्छा लगता है। कांटे ब्रह्मा का तब जाल, बन गए काशी कोतवाल, आंखें रहती लाल लाल हमको अच्छा लगता है।पर्वतों पर तेरा वास, नंदी को रखते हो पास, जटा गंगा का निवास हमको अच्छा लगता है।
करने चले जब तुम थे विवाह बाबा जी, तीनों लोकों के प्राणी चले साथ बाबा जी। रूप देख विकराल, मैना मां हुई बेहाल, हो गई सखियां सभी बेहोश बाबा जी। गौरी मैया ने तब जोड़े हाथ, करो ना ऐसा काम, धर लो रूप महान हमको अच्छा लगता है। भोले बन गए महाकाल, नाच रहे सब बेताल, आंखें रहती लाल लाल हमको अच्छा लगता है।पर्वतों पर तेरा वास, नंदी को रखते हो पास, जटा गंगा का निवास हमको अच्छा लगता है।
नाद ये सारा जग,जग बोले बाबा जी, हर हर शिव हर बम बोले बाबा जी। सांसों की गति में रस घोले बाबा जी,हर हर शिव हर बम बोले बाबा जी। दिन रैना घड़ियों के खेल से परे, कहते हैं ऋषि मुनि वह शिव जो करें। कल्याण मई है शिव मंगल करें, गिरते नहीं पग जो तेरे पड़े। जाग मोह को रख एकाकी ध्यान मे, अब है बस बाबा हर एक प्राण में। कैसा अनुराग है तेरे नाम में, घूमें मतवाले हम सब तेरे धाम में।पर्वतों पर तेरा वास, नंदी को रखते हो पास, जटा गंगा का निवास हमको अच्छा लगता है।हाथों में रहता कपाल, तीनों लोकों के भूपाल, आंखें रहती लाल लाल हमको अच्छा लगता है।
काल के भी हो काल महाकालेश्वर भगवान, झूठ भय का जंजाल हमको अच्छा लगता है। हाथों में रहता कपाल, तीनों लोकों के भूपाल, आंखें रहती लाल लाल हमको अच्छा लगता है। पर्वतों पर तेरा वास, नंदी को रखते हो पास, जटा गंगा का निवास हमको अच्छा लगता है।हाथों में रहता कपाल, तीनों लोकों के भूपाल, आंखें रहती लाल लाल हमको अच्छा लगता है।