भवन में बैठकर मैया, मुझे आवाज देती है। कभी बिंदिया कभी टिका, कभी सिंदूरा मांगाती है। जरा सी भूल हो जाए ,तो मां मुझे माफ करती है।भवन में बैठकर मैया, मुझे आवाज देती है।भवन में बैठकर मैया, मुझे आवाज देती है।
कभी कुंडल कभी नथनी, कभी हरवा मांगाती है।कभी कुंडल कभी नथनी, कभी हरवा मांगाती है।जरा सी भूल हो जाए ,तो मां मुझे माफ करती है।भवन में बैठकर मैया, मुझे आवाज देती है।भवन में बैठकर मैया, मुझे आवाज देती है।
कभी कंगना कभी चूड़ा, कभी मेहंदी मांगाती है।कभी कंगना कभी चूड़ा, कभी मेहंदी मांगाती है।जरा सी भूल हो जाए ,तो मां मुझे माफ करती है।भवन में बैठकर मैया, मुझे आवाज देती है।भवन में बैठकर मैया, मुझे आवाज देती है।
कभी पायल कभी बिछवे,कभी महावर मांगाती है।कभी पायल कभी बिछवे,कभी महावर मांगाती है।जरा सी भूल हो जाए ,तो मां मुझे माफ करती है।भवन में बैठकर मैया, मुझे आवाज देती है।भवन में बैठकर मैया, मुझे आवाज देती है।
कभी साड़ी कभी लहंगा, कभी चुनरी मांगाती है।कभी साड़ी कभी लहंगा, कभी चुनरी मांगाती है।जरा सी भूल हो जाए ,तो मां मुझे माफ करती है।भवन में बैठकर मैया, मुझे आवाज देती है।भवन में बैठकर मैया, मुझे आवाज देती है।
कभी हलवा कभी छोले, कभी पूरी मंगवाती है।कभी हलवा कभी छोले, कभी पूरी मंगवाती है।जरा सी भूल हो जाए ,तो मां मुझे माफ करती है।भवन में बैठकर मैया, मुझे आवाज देती है।भवन में बैठकर मैया, मुझे आवाज देती है।
भवन में बैठकर मैया, मुझे आवाज देती है। कभी बिंदिया कभी टिका, कभी सिंदूरा मांगाती है। जरा सी भूल हो जाए ,तो मां मुझे माफ करती है।भवन में बैठकर मैया, मुझे आवाज देती है।भवन में बैठकर मैया, मुझे आवाज देती है।