Categories
हनुमान (बालाजी) भजन लिरिक्स hanuman balaji bhajan lyrics

Hanuman dulare by agam Aggarwal,जय जय जय हनुमान दुलारे पहुंच गया मैं द्वार तिहारे,balaji bhajan

जय जय जय हनुमान दुलारे पहुंच गया मैं द्वार तिहारे,

जय जय जय हनुमान दुलारे। पहुंच गया मैं द्वार तिहारे।जय जय जय हनुमान दुलारे। पहुंच गया मैं द्वार तिहारे। कंधे पर श्री राम लखन संग, हाथ में विकट गदा है साजे।जय जय जय हनुमान दुलारे। जय जय जय हनुमान दुलारे।

वीर मारुती के कंधे पर ,लगे सजे हैं हरि का धाम। एक कंधे पर भाई है बैठा, एक कंधे पर उनके राम।काम किया क्या पवनसुत यह, नैन हटे ना जानकी से। थके हुए मेरे नैनों को यह, छवि थमांती बड़ा आराम। दुष्टों की दुनिया में स्वामी पीड़ बची है पीने को। नाम तेरे में मारुति उम्मीद बची है जीने को। छोटी सी हमें चोट लगे तो आंसू ही बह जाते हैं। एक तरफ तू मारुति जो चिर ही बैठे सीने को। हनुमान तेरा धरूं ध्यान फिर, भरूं भाव में पन्नों पे।करूं शाम फिर प्रभु नाम, मैं लिखूं मेरे एक छंदों में। अंधों में है दास तेरा, कर देखूं ना मैं खुद के खोट। मारुति मुझे करना चूर अहंकार के फंदो से। व्यथा भरे मेरे दिल को स्वामी, दे दो अपना बाल यह रूप। ऊपर से मैं हंसता माना, अंदर से फिलहाल हु चूर। सुनो याचिका मेरी राम दूत है बजरंगी। रख लो मोहे पास मारुति जैसे हूं मैं लाल सिंदूर।

भक्तन के तुम काज सांवारे, राम है तुमको प्राण से प्यारे। राहु तुम्हारे भय से कांपे। रवि शुक्र शनि है मित्र तुम्हारे। केसरी सूत तुम अंजनी प्यारे। वायु देव है पिता तुम्हारे।जय जय जय हनुमान दुलारे। पहुंच गया मैं द्वार तिहारे।जय जय जय हनुमान दुलारे। पहुंच गया मैं द्वार तिहारे।

रामदूत जिन्होंने बनकर ,लंका को भी तार दिया था। राम नाम बस एक सहारा, सत्य को एक बार दिया था। हाथ पड़े हैं जोड़ के जो प्रभु चरणों में बंदन करते। भक्त हो संग्राम हो चाहे सब में सेवा भाव दिया था। एक तो वानर की बुद्धि में इंद्रियों को बांध लिया था। रामकाज की सेवा करते, काल दिशाएं बांध लिया था। कानों में कुंडल कंधे जनेऊ ,मुख पर राम का नाम सजा कर। सीता मैया खोजी और ,प्रभु को जिन्होंने प्राण दिया था। भीमसेन अब वाण को तोड़ा, लक्ष्मण के संग प्राण को जोड़ा। अर्जुन के रथ पर सवार थे, कर्मों के संग प्राण को जोड़ा। शक्ति से ब्रह्मांड उठा ले ,पर विनम्र हो मात को जोड़ा। प्रार्थनाओं को ध्यान पर रखा, पर भक्तों का हाथ ना छोड़ा। लाल देह लाली लसे, अरुंधरी लाल लंगूर। जिनकी भक्ति में जो प्राण समाए, करें माया से दूर। जो की सूक्ष्म होकर सबसे विशाल, जीवन है जो दानव के है काल।वज्र देह दानव दलन जय जय जय कपि सूर।

ऋषि मुनि संत है तुमको ध्यावे। असुर दुष्ट तुमसे भये खावे। नाग जनेऊ कर पर्वत साजे। राम दरस को सदा अकुलाते।जय जय जय हनुमान दुलारे। पहुंच गया मैं द्वार तिहारे।जय जय जय हनुमान दुलारे। पहुंच गया मैं द्वार तिहारे।

Leave a comment