कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्
सदा वसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि
पद्मासन में ध्यान लगाया मौन है,
वीराने में तपता योगी कौन है। नाद न कोई तारा, डमरू कभी कबारा। अधमुंदी आँखो से सब देख रहा संसारा।नाद न कोई तारा, डमरू कभी कबारा। अधमुंदी आँखो से सब देख रहा संसारा।
जो नाथो के नाथ कहाते,याचक भूति बेल चढ़ाते।जातक झूम झूम के गाते ओमकारा।जो नाथो के नाथ कहाते,याचक भूति बेल चढ़ाते।जातक झूम झूम के गाते ओमकारा।
अर्ध चन्द्र माथे पे साजे , वक्षस्थल कप्पाल बिराजे,जटा चक्र से बहती निर्मल शिव धारा।
हर हर शिव शम्भू, जय जय केदारा
हर हर शिव शम्भू जय जय केदारा,
हर हर शिव शम्भू जय जय केदारा,
हर हर शिव शम्भू जय जय केदारा।
हर हर शिव शम्भू, जय जय केदारा
हर हर शिव शम्भू जय जय केदारा,
हर हर शिव शम्भू जय जय केदारा,
हर हर शिव शम्भू जय जय केदारा।
जल थल अगन समीर छांव और धूप है।जल थल अगन समीर छांव और धूप है। वियावान सन्नाटा ही शिव रूप है। कभी सृजन हारा कभी विध्वंसक देव है। शांत सलोनी रूद्र रूप महादेव है। कभी प्रकट हो जाते पर्वत के वश में। कहीं भयावह और विकराली बेग में। अनहद के सुर गाजे बाजे। देव असुर एक पांव पे नाचे। भस्म रमा के बहुरूपी शिव गुण कारा।अनहद के सुर गाजे बाजे। देव असुर एक पांव पे नाचे। भस्म रमा के बहुरूपी शिव गुण कारा।
हर हर शिव शम्भू, जय जय केदारा
हर हर शिव शम्भू जय जय केदारा,
हर हर शिव शम्भू जय जय केदारा,
हर हर शिव शम्भू जय जय केदारा।
जप तप साधन और समाधि ध्यान में। सत्यम शिवम शाश्वत ज्ञान बखान में। है आदिकाल से अंडज़ पिंडज प्राण में। हर अस्तित्व शिवत्व हर परमाण में। कभी भुजा अगन सारा सागर जल सोख के।गरल कुंभ विष स्वयं कंठ में रोक के। नीलकंठ तब से कहलाते ,सृष्टि बारंबार बचा के। कितनी बार किया पृथ्वी का निस्तारा। त्रिलोकी शिव लीला धारी। धीर वीर गम्भीर बिहारी। जय जय हो भोले भंडारी जय कारा।
हर हर शिव शम्भू, जय जय केदारा
हर हर शिव शम्भू जय जय केदारा,
हर हर शिव शम्भू जय जय केदारा,
हर हर शिव शम्भू जय जय केदारा।
हर हर शिव शम्भू, जय जय केदारा
हर हर शिव शम्भू जय जय केदारा,
हर हर शिव शम्भू जय जय केदारा,
हर हर शिव शम्भू जय जय केदारा।