तर्ज, श्याम तुझ से मिलने का सत्संग ही बहाना है
महाकाली पर भरोसा है तो काहे घबराता है।महाकाली पर भरोसा है तो काहे घबराता है।महाकाली पर भरोसा है तो काहे घबराता है। यह सच्चा दरबार माई का, यूं ही ना पूजा जाता है।महाकाली पर भरोसा है तो काहे घबराता है।
छोटी-छोटी ख्वाहिश तू ,रखता है इसके दर में।छोटी-छोटी ख्वाहिश तू ,रखता है इसके दर में। मां रहमतों का सागर है जो बहता चला आता है।महाकाली पर भरोसा है तो काहे घबराता है।महाकाली पर भरोसा है तो काहे घबराता है।
यहां छोटा बड़ा कोई नहीं, सभी एक बराबर है।यहां छोटा बड़ा कोई नहीं, सभी एक बराबर है। सबके कर्मों की गठरिया को, यहां नापा तोला जाता है।महाकाली पर भरोसा है तो काहे घबराता है।महाकाली पर भरोसा है तो काहे घबराता है।
तेरे अश्कों को भी मैया मोती में बदल देगी।तेरे अश्कों को भी मैया मोती में बदल देगी। कलकत्ते वाली काली को, जो भी मन से ध्याता है।महाकाली पर भरोसा है तो काहे घबराता है।महाकाली पर भरोसा है तो काहे घबराता है।
महाकाली पर भरोसा है तो काहे घबराता है।महाकाली पर भरोसा है तो काहे घबराता है।महाकाली पर भरोसा है तो काहे घबराता है।महाकाली पर भरोसा है तो काहे घबराता है।