तर्ज, उड़ जा काले कावा
की ब्रज में बसालो मुझे, की अपना बना लो मुझे।की ब्रज में बसालो मुझे, की अपना बना लो मुझे।की ब्रज में बसालो मुझे, की अपना बना लो मुझे।की ब्रज में बसालो मुझे, की अपना बना लो मुझे।
कुंज गलीन में खो जाने को जि ए करता है। राधे राधे जपने से सब कुछ मिलता है। वो माया के नगरी में तुम खो न जाना प्यारे। श्याम श्याम मिलेंगे तुझको जप ले राधे राधे।की ब्रज में बसालो मुझे, की अपना बना लो मुझे।की ब्रज में बसालो मुझे, की अपना बना लो मुझे।
दर-दर भटक हूं मैं कान्हा तुझको पाने में। तेरी कमी ही खलती है मुझे इस जमाने मे।दर-दर भटक हूं मैं कान्हा तुझको पाने में। तेरी कमी ही खलती है मुझे इस जमाने मे। कब आओगे ओ मेरे कान्हा ओ मेरी कृष्ण मुरारी। आकर मुझको दर्शन देना मेरे बांके बिहारी।की ब्रज में बसालो मुझे, की अपना बना लो मुझे।की ब्रज में बसालो मुझे, की अपना बना लो मुझे।की ब्रज में बसालो मुझे, की अपना बना लो मुझे।की ब्रज में बसालो मुझे, की अपना बना लो मुझे।
की ब्रज में बसालो मुझे, की अपना बना लो मुझे।की ब्रज में बसालो मुझे, की अपना बना लो मुझे।की ब्रज में बसालो मुझे, की अपना बना लो मुझे।की ब्रज में बसालो मुझे, की अपना बना लो मुझे।की ब्रज में बसालो मुझे, की अपना बना लो मुझे।