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विविध भजन

Sab matlab ke log by sunita swami ,ओ भाई रे सब रे मतलब का लोग अब मोहे खबर पड़ी।

ओ भाई रे, सब रे मतलब का लोग, अब मोहे खबर पड़ी।

दोहा,चंचल मानव चैत के क्यों सोया अनजान।तेरा हीरा जन्म आमोल्का,जो तूने कोड़ी बदले खोल।

ओ भाई रे, सब रे मतलब का लोग, अब मोहे खबर पड़ी।ओ भाई रे, सब रे स्वार्थ वाला लोग, अब मोहे खबर पड़ी।खबर पड़ी जी म्हाने खबर पड़ी।खबर पड़ी जी म्हाने खबर पड़ी।ओ भाई रे, सब रे मतलब का लोग, अब मोहे खबर पड़ी।ओ भाई रे, सब रे स्वार्थ वाला लोग, अब मोहे खबर पड़ी।

एक डाल दो पंछी बैठा बोले हरि हरि।एक डाल दो पंछी बैठा बोले हरि हरि।अरे टूटी डाल उड़ गया पंछी, आ केडी प्रीत री,अब मोहे खबर पड़ी।ओ भाई रे, सब रे मतलब का लोग, अब मोहे खबर पड़ी।ओ भाई रे, सब रे स्वार्थ वाला लोग, अब मोहे खबर पड़ी।खबर पड़ी जी म्हाने खबर पड़ी।खबर पड़ी जी म्हाने खबर पड़ी।ओ भाई रे, सब रे मतलब का लोग, अब मोहे खबर पड़ी।ओ भाई रे, सब रे स्वार्थ वाला लोग, अब मोहे खबर पड़ी।

तक तेल दिए में बाती, तबतक जोत घणी।जबतक तेल दिए में बाती, तबतक जोत घणी।अरे उड़ गया तेल न बुझ गई बाती, घोर अंधार पड़ी,अब मोहे खबर पड़ी।ओ भाई रे, सब रे मतलब का लोग, अब मोहे खबर पड़ी।ओ भाई रे, सब रे स्वार्थ वाला लोग, अब मोहे खबर पड़ी।खबर पड़ी जी म्हाने खबर पड़ी।खबर पड़ी जी म्हाने खबर पड़ी।ओ भाई रे, सब रे मतलब का लोग, अब मोहे खबर पड़ी।ओ भाई रे, सब रे स्वार्थ वाला लोग, अब मोहे खबर पड़ी।

जब तक बैल चले घानी में तब तक कदर घणी।जब तक बैल चले घानी में तब तक कदर घणी। अरे बूढ़ा हुआ तब सार ना पूछे, भटके वह गली-गली,अब मोहे खबर पड़ी।ओ भाई रे, सब रे मतलब का लोग, अब मोहे खबर पड़ी।ओ भाई रे, सब रे स्वार्थ वाला लोग, अब मोहे खबर पड़ी।खबर पड़ी जी म्हाने खबर पड़ी।खबर पड़ी जी म्हाने खबर पड़ी।ओ भाई रे, सब रे मतलब का लोग, अब मोहे खबर पड़ी।ओ भाई रे, सब रे स्वार्थ वाला लोग, अब मोहे खबर पड़ी।

जे तू चाहे जग में जीना भज ले हरि हरि।जे तू चाहे जग में जीना भज ले हरि हरि। कहत कबीर सुनो भाई साधु, दुनिया है जाल से भरी,अब मोहे खबर पड़ी।ओ भाई रे, सब रे मतलब का लोग, अब मोहे खबर पड़ी।ओ भाई रे, सब रे स्वार्थ वाला लोग, अब मोहे खबर पड़ी।खबर पड़ी जी म्हाने खबर पड़ी।खबर पड़ी जी म्हाने खबर पड़ी।ओ भाई रे, सब रे मतलब का लोग, अब मोहे खबर पड़ी।ओ भाई रे, सब रे स्वार्थ वाला लोग, अब मोहे खबर पड़ी।

ओ भाई रे, सब रे मतलब का लोग, अब मोहे खबर पड़ी।ओ भाई रे, सब रे स्वार्थ वाला लोग, अब मोहे खबर पड़ी।खबर पड़ी जी म्हाने खबर पड़ी।खबर पड़ी जी म्हाने खबर पड़ी।ओ भाई रे, सब रे मतलब का लोग, अब मोहे खबर पड़ी।ओ भाई रे, सब रे स्वार्थ वाला लोग, अब मोहे खबर पड़ी।

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