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आरती,aarti

Aarti kije shree Ram lala ki,आरती कीजे श्री रामलला की ,ramji aarti

आरती कीजे श्रीरामलला की

आरती कीजे श्री रामलला की । पूण निपुण धनुवेद कला की ।आरती कीजे श्री रामलला की।

धनुष वान कर सोहत नीके । शोभा कोटि मदन मद फीके ।।सुभग सिंहासन आप बिराजैं । वाम भाग वैदेही राजैं ।



कर जोरे रिपुहन हनुमाना । भरत लखन सेवत बिधि नाना ।शिव अज नारद गुन गन गावैं । निगम नेति कह पार न पावैं ।।

नाम प्रभाव सकल जग जानैं । शेष महेश गनेस बखानैं भगत कामतरु पूरणकामा । दया क्षमा करुना गुन धामा ।।



सुग्रीवहुँ को कपिपति कीन्हा । राज विभीषन को प्रभु दीन्हा ।खेल खेल महु सिंधु बधाये । लोक सकल अनुपम यश छाये ।



दुर्गम गढ़ लंका पति मारे । सुर नर मुनि सबके भय टारे ।देवन थापि सुजस विस्तारे । कोटिक दीन मलीन उधारे ।

कपि केवट खग निसचर केरे । करि करुना दुःख दोष निवेरे ।देत सदा दासन्ह को माना । जगतपूज भे कपि हनुमाना ।



आरत दीन सदा सत्कारे । तिहुपुर होत राम जयकारे ।कौसल्यादि सकल महतारी । दशरथ आदि भगत प्रभु झारी ।



सुर नर मुनि प्रभु गुन गन गाई । आरति करत बहुत सुख पाई ।धूप दीप चन्दन नैवेदा । मन दृढ़ करि नहि कवनव भेदा ।



राम लला की आरती गावै । राम कृपा अभिमत फल पावै ।आरती कीजे श्री रामलला की ।आरती कीजे श्री रामलला की ।

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