Categories
विविध भजन

Re man ye do din ka Mela rahega,रे मन ये दो दिन का मेला रहेगा,

रे मन ये दो दिन का मेला रहेगा,

रे मन ये दो दिन का मेला रहेगा,
कायम न जग का झमेला रहेगा।





किस काम का ऊंचा महल जो तू बनायेगा,
किस काम का लाखो का जो तोड़ा कमायेगा,
रथ हाथियों का झुंड भी किस काम आयेगा,
तू जैसा यहाँ आया था वैसा ही जायेगा,
तेरे सफर में सवारी की खातिर, कंधो पे ठठरी का ठेला रहेगा ।रे मन ये दो दिन का मेला रहेगा,
कायम न जग का झमेला रहेगा।





कहाँ है ये दौलत कभी आयेगी मेरे काम,
पर ये तो बता धन हुआ किसका भला गुलाम,
समझा गए उपदेश हरिचन्द्र कृष्ण राम,
दौलत नही रहती है रहता है सिर्फ नाम,
छूटेगी सम्पत्ति यहाँ की यहीं पर,
तेरी कमर में न ढेला रहेगा।रे मन ये दो दिन का मेला रहेगा,कायम न जग का झमेला रहेगा।





साथी है मित्र गंगा के जल बिंदु पान तक,
अर्धांगनी बढ़ेगी तो केवल मशान तक,
परिवार के सब लोग चलेंगे मशान तक,
बेटा भी हक़ निभायेगा तो अग्नि दान तक,
इससे तो आगे भजन ही है साथी, हरि के भजन बिन अकेला रहेगा ।रे मन ये दो दिन का मेला रहेगा,कायम न जग का झमेला रहेगा।

Leave a comment