गुरु बिन ज्ञान ना उपजे,और गुरु बिन मिले न भेद।गुरु बिन संशय ना मिटे,जय जय जय गुरुदेव।गुरु नारायण रूप है,और गुरु ज्ञान को सार। सत्य वचन प्रकाश से,मन के मिटे विचार।
देवी बडा ना देवता, सूरज बड़ा ना चांद।आदि अंत दोनो बड़े,के गुरु के गोविंद। सांच बिना सुमिरन नही, हीन बिन भेद न भक्ति होय।पारस में पर्दा रहा,कैसे लोहा कंचन होय।
गुरु बिन ज्ञान ना उपजे,और गुरु बिन मिले न मोक्ष।गुरु बिन लखे कोई सत्य को,गुरु बिन मिटे ना दोष।
बिना गुरु ज्ञान ना पाओगे मोरे साध भाया।बिना गुरु नाम ना पाओगे मोरे साध भाया। फोकट जन्म गवाया हो। बिरथा को जन्म गवाया हो।
जल भर कुंभ,रहे जल भीतर,बाहर भीतर मांगे पाणी हो। हां जी जल भर कुंभ,रहे जल भीतर,बाहर भीतर मांगे पाणी हो।उलट कुंभ जल,जल ही समाना,तब रट रेख मोरे ज्ञानी रे साधु भाया, तब क्या करें रे वहां जानी मोर साधु भाया,फोकट जन्म गवाया हो। बिरथा को जन्म गवाया हो।
हांजी बिन करताल बखावत बाजे,बिन रसना से गुण गाया हो। गावन हार को रूप नही रेखा,सदगुरु अलख लखाया मोरे साध भाया, हां सदगुरु अलख लखाया मोरे साध भाया ,बिना गुरु ज्ञान ना पाओगे मोरे साध भाया।बिना गुरु नाम ना पाओगे मोरे साध भाया। फोकट जन्म गवाया हो। बिरथा को जन्म गवाया हो।
हे रे अथाह, अहा सब हीन में,दरिया तो लहर समाया हो।हे रे अथाह, अहा सब हीन में,दरिया तो लहर समाया हो।जाल डालकर क्या करे धीमर,जिनको होई गयो काम रे मोरे साध भाया,मिनाखो होई गयो पाणी मोरे साध भाया, बिन गुरु ज्ञान ना पाया हो,फोकट जन्म गवाया हो। बिरथा को जन्म गवाया हो।