ए जी , आछे दिन पाछे गए
गुरु से किया नहीं हेत ।अरे अब पछतावे क्या करें,जब चिड़िया चुग गयी खेत।
चंचल मनवा चेत रे ने सोवे कहे अनजान
जम घर जब ले जायेगा तो पड़ा रहेगा न्यान।
भक्ति बीज है प्रेम का,न प्रकट प्रथ्वी माय
कहे कबीर धोया घणा,और निपजे कोई एक नाय।
अरे चेत रे नर चेत रे
थारो चिड़िया चुग गयी खेत रे।
नर नुगरा रे,एजी अब तो मन में चेत रे
तू अब तो दिल में चेत रे,एजी चेत रे नर चेत रे
थारो चिड़िया चुग गयी खेत रे।
एजी अब तो मन में चेत रे ,हाँ अब तो दिल में चेत रे।थारे गुरु के नाम से आंटी रे
अब कुण चढ़ावे थारी घाटी रे।
नर नुगरा रे,एजी अब तो मन में चेत रे
हाँ अब तो दिल में चेत रे।
थारे गुरूजी बतावेगा भेद रे,ज्यासे कटे करम की रेख रे,नर नुगरा रे।
अरे अब तो मन में चेत रे,हाँ अब तो दिल में चेत रे,हे गुरूजी बतावे भेद रे।ज्यांसे छूटे जनम की कैद रे,नर नुगरा रे।अरे चेत रे नर चेत रे
थारो चिड़िया चुग गयी खेत रे।
नर नुगरा रे,एजी अब तो मन में चेत रे
तू अब तो दिल में चेत रे,एजी चेत रे नर चेत रे
थारो चिड़िया चुग गयी खेत रे।
थोड़ो समझ देख ले आखिर रे,
अब ढाढर खहिज्यो आखिर रे,अरे चेत रे नर चेत रे,थारो चिड़िया चुग गयी खेत रे।
नर नुगरा रे,एजी अब तो मन में चेत रे
तू अब तो दिल में चेत रे,एजी चेत रे नर चेत रे
थारो चिड़िया चुग गयी खेत रे।
गुरु चरण दास की वाणी रे
जिन सार शब्द पहचानी रे।अरे चेत रे नर चेत रे
थारो चिड़िया चुग गयी खेत रे।
नर नुगरा रे,एजी अब तो मन में चेत रे
तू अब तो दिल में चेत रे,एजी चेत रे नर चेत रे
थारो चिड़िया चुग गयी खेत रे।