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tulsi ji bhajan

Sachi Sachi Bolo tulsa Mata kis Vidhi Krishna paye ji,सच्ची सच्ची बोलो तुलसा माता किस विधि कृष्णा पाए जी,tulsi ji bhajan

सच्ची सच्ची बोलो तुलसा माता, किस विधि कृष्णा पाए जी

सच्ची सच्ची बोलो तुलसा माता, किस विधि कृष्णा पाए जी।सच्ची सच्ची बोलो तुलसा माता, किस विधि कृष्णा पाए जी।

सावन में सखी साग ना खायो, भादो में दही ना खायो जी। अश्विन में सखी पीतर जीमाये, कार्तिक में ठंडे जल नहाया जी। मंगसिर में सखी मांग भराई ,पौष में ना ओढ़ी रजाई जी। माघ में सखी भूमि पर सोई, फाल्गुन फाग न खेली जी। चैत्र में सखी फल नहीं खाए, हरी ककड़ी नहीं खाई जी। वैशाख में सखी गर्मी पड़ रही, कबहूं ना पंखा झाल्या जी। जेठ में सखी तपन पड़ी से, सब ने निर पिलाया जी। आषाढ़ में सखी बरखा बरसे , कबहूं ना छतरी ओढ़ी जी। 12 महीने सखी तप जप किना, तबहूं कृष्णा वर पा जी

कन्या गावे घर वर पावे , तीरीया पुत्र खिलावे जी। बुढ़िया गावे स्वर्ग सीधावे, विधवा गंगा नहावे जी। सात सुहागन पानी में चाली,सातों ही बतलावे जी। भरण गई जल जमुना का पानी संग में तुलसा जावे जी। सात सुहागन यूं उठ बोली तुलसा अभी कुमारी जी। अखियां में भर जल घर आई, बाबुल गोद खिलाए जी। कहो मेरी बेटी कैसे डर गई, या मायड़ धमकाई जी। ना भूतों से नहीं डरी में, ना मायड़ धमकाई जी। सांची सांची बोलो मेरी बेटी, जल अखियां में क्यों लाई जी

सात सुहागन पानी में चाली,सातों ही बतलावे जी।सात सुहागन यूं उठ बोली तुलसा अभी कुमारी जी। कहे तो बेटी तने चंदा घर ब्याहदूं ,कहे तो सूरज परणा दूं जी। चंदा संग बाबुल मेरी रात अंधेरी, सूरज किरण घनेरी जी। मैं तो चुनु वर कृष्ण मुरारी, उनके संग परणाओ जी। पांच सुपारी एक रुपया दो, तुलसा की हुई सगाई जी। हरा भरा सा बांस कटाया, तोरण खंब गड़ाया जी। सखियां आंगन बीच बिठाई, हंस हंस मंगल गावे जी। पढ़ा लिखा पंडित बुलवाया हाथलेवा जुड़वाया जी। तुलसा की चुनर ठाकुर का दुपट्टा, घूल घूल गांठ लगाई जी। तुलसा ब्याह कर ठाकुर घर आई ,जे-जे कार लगाई जी। आज मेरी तुलसा हुई सुहागन ठाकुर जी वर पाई जी

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