ले आजा पिता माता की, श्री राम बन को चल दिए। राम बन को चल दिए श्री राम बन को चल दिए। जानकी लक्ष्मण भी दोनों पीछे-पीछे चल दिए।ले आजा पिता माता की, श्री राम बन को चल दिए।
चलते चलते बन में सीता प्यास से व्याकुल हुई। फिर प्रभु से कहने लगी वह पानी लाने के लिए। देख कर पत्नी की हालत राम जी घबरा गए। अब कहां से पानी लाऊं प्राण प्यारी के लिए।
पेड़ पर एक मोड़ बैठा, यह सब कुछ है देख रहा। आ गया श्री राम के आगे रास्ता बताने के लिए। मैं चलूंगा आगे आगे पीछे पीछे तुम चलना। इतना कह कर मोर अपना पंख गिराते चल दिए।
चलते चलते तालाब पहुंच खून से लथपथ हुआ। मोर की भक्ति से खुश हो राम ने वर दे दिया। द्वापर में श्री कृष्ण बनकर पृथ्वी पर मैं आऊंगा। आपके इन पंखों को मैं अपने सिर पर सजाऊंगा। मोर ने फिर प्राण त्यागे , स्वर्ग जाने के लिए।
इसीलिए श्री कृष्ण को मोर मुकुट प्यारा लगे। मोर ने क्या भक्ति करी थी प्रभु को रिझाने के लिए।ले आजा पिता माता की, श्री राम बन को चल दिए। राम बन को चल दिए श्री राम बन को चल दिए। जानकी लक्ष्मण भी दोनों पीछे-पीछे चल दिए।ले आजा पिता माता की, श्री राम बन को चल दिए।