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विविध भजन

Rang Lago re ram ko so rang kade na jayi,रंग लागो रे राम को सो रँग कदे न जाई रे

रंग लागो रे राम को, सो रँग कदे न जाई रे

रंग लागो रे राम को, सो रँग कदे न जाई रे । हरि रँग मेरो मन रॅग्यो, और न रंग सुहाई रे ॥ रंग लागो रे राम को, सो रँग कदे न जाई रे । हरि रँग मेरो मन रॅग्यो, और न रंग सुहाई रे ॥

अविनाशी रँग ऊपनो, रच मच लागो चोलो रे । सो रँग सदा सुहावनो, ऐसो रंग अमोलो रे ॥ रंग लागो रे राम को, सो रँग कदे न जाई रे । हरि रँग मेरो मन रॅग्यो, और न रंग सुहाई रे ॥

हरि रँग कदे न ऊतरै, दिन दिन होइ सुरङ्गो रे । नित नयो निर्वाण है कदे न हैला भंगो रे ॥ रंग लागो रे राम को, सो रँग कदे न जाई रे । हरि रँग मेरो मन रॅग्यो, और न रंग सुहाई रे ॥

साचो रँग सहजै मिल्यो, सुन्दर रङ्ग अपारो रे । भाग बिना क्यों पाइये, सब रँग माँहीं सारो रे ॥रंग लागो रे राम को, सो रँग कदे न जाई रे । हरि रँग मेरो मन रॅग्यो, और न रंग सुहाई रे ॥

अवरण को का वरणिये, सो रँग सहज स्वरूपो रे । बलिहारी उस रङ्गकी, जन दादू देख अनूपो रे ॥ रंग लागो रे राम को, सो रँग कदे न जाई रे । हरि रँग मेरो मन रॅग्यो, और न रंग सुहाई रे ॥

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