Categories
विविध भजन

Kab Dekhun Nur Tumhara by prakash das ji,कब देखूं नूर तुम्हारा अब जग से कहां हमारा

कब देखूं नूर तुम्हारा, अब जग से कहां हमारा।

कब देखूं नूर तुम्हारा, अब जग से कहां हमाराकब देखूं नूर तुम्हारा, अब जग से कहां हमारा।अरे अब जग से कहां हमारा।अब जग से कहां हमारा।कब देखूं नूर तुम्हारा, अब जग से कहां हमारा।

परम तेज घर मेरा, सुख सागर माही बसेरासुख सागर माही बसेरा।कब देखूं नूर तुम्हारा, अब जग से कहां हमारा।कब देखूं नूर तुम्हारा, अब जग से कहां हमारा।

ये ज्योति अपार अनन्ता, वहां खेलें फाग वसन्ता, वहां खेलें फाग वसन्ता ।वहां खेलें फाग वसन्ता ।वहां खेलें फाग वसन्ता।कब देखूं नूर तुम्हारा, अब जग से कहां हमारा।

झिलमिल अति आनन्दा, तहँ पाया परमानन्दा।झिलमिल अति आनन्दा, तहँ पाया परमानन्दा।कब देखूं नूर तुम्हारा, अब जग से कहां हमारा।कब देखूं नूर तुम्हारा, अब जग से कहां हमारा।

आदि अंत अस्थाना, जन दादू सो पहचाना।आदि अंत अस्थाना, जन दादू सो पहचाना।कब देखूं नूर तुम्हारा, अब जग से कहां हमारा।कब देखूं नूर तुम्हारा, अब जग से कहां हमारा।

Leave a comment