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रानीसती दादी भजन लीरिक्स

Marghat bich base ek nari,मरघट बीच बसे एक नारी रे,dadi bhajan

मरघट बीच बसे एक नारी रे

मरघट बीच बसे एक नारी रे। जगदंबा या आदि भवानी सिंह सवारीनी रे।मरघट बीच बसे एक नारी रे। जगदंबा या आदि भवानी सिंह सवारीनी रे। सिंह सवारीनी रे माई म्हारी आदि भवानी रे।मरघट बीच बसे एक नारी रे। जगदंबा या आदि भवानी सिंह सवारीनी रे।

सबसे पहले अर्धनारीश्वर रूप में तू प्रगटाई। शिव से पुरुष तत्व और सत से नारी रूप बनाई।सबसे पहले अर्धनारीश्वर रूप में तू प्रगटाई। शिव से पुरुष तत्व और सत से नारी रूप बनाई।तब से आदि शक्ति कुहाई रे।जगदंबा या आदि भवानी सिंह सवारीनी रे।जगदंबा या आदि भवानी सिंह सवारीनी रे।मरघट बीच बसे एक नारी रे। जगदंबा या आदि भवानी सिंह सवारीनी रे।

सती रूप में जन्म लियो शंकर के संग परणाई। दक्ष यज्ञ में बैठ भवानी सती को रूप दिखाई।सती रूप में जन्म लियो शंकर के संग परणाई। दक्ष यज्ञ में बैठ भवानी सती को रूप दिखाई। 52 शक्तिपीठ बनाई रे।जगदंबा या आदि भवानी सिंह सवारीनी रे।जगदंबा या आदि भवानी सिंह सवारीनी रे।मरघट बीच बसे एक नारी रे। जगदंबा या आदि भवानी सिंह सवारीनी रे।

युग युग में प्रगटी महामाई अंत में कलियुग आई। नारायणी को रूपरि तंधन संग ब्याह रचा।युग युग में प्रगटी महामाई अंत में कलियुग आई। नारायणी को रूप धरि तंधन संग ब्याह रचाई। अब की रानी सती कुहायी रे।जगदंबा या आदि भवानी सिंह सवारीनी रे।जगदंबा या आदि भवानी सिंह सवारीनी रे।मरघट बीच बसे एक नारी रे। जगदंबा या आदि भवानी सिंह सवारीनी रे।

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